Tuesday 22 December 2015

सैनिक की पत्नि अपनी सखी से
अपनी व्यथा कहती है
सुन आलि सावन की बूँदे,विरह अगन भड़काती हैं
घायल जियरा हूक उठे,जब याद पिया की आती है
चले गये सीमा पर लड़ने,मुझे अकेला छोड़ गये
बीता बरस नाआयेमिलने,आशा मेरी तोड़ गये
होली के रंग उन बिन फीके,सूनी रात
दीवाली की
मेहन्दी का भी रंग चढा ना,गयी
तीज हरियाली भी
काजल बिन्दिया कंगन झुमके,नित सोलह श्रिन्गार करूँ
दरवाजे पर बैठ दिवस निशि,ठंडी ठंडी आह भरुं
ग्रीष्म शरद हेमंत शिशिर,ऋतुयेँ अबअब अब मुझको भायें ना
मौसम आये चले गये पर ,साजन मेरे आये ना
अब तो आंखोँ के आँसू भी डुलक डुलक कर सूख गये
ऐसा क्या अपराध हुआ जो भाग्य हमारे रूठ गये
रोम रोम मेरा पिया पुकारे. पल पल उनको याद करूँ
एक बार पिया मिलन करादो, रब से ये फ़रियाद करूँ
प्रियतम तो आये नाआलि,पाती उनकी आयी है
पाती मे प्रियतम ने अपने, दिल की व्यथा सुनाई है
प्रिया तेरे बिन इक इक पल,बरसों के मुझे समान लगे
तुझसे मिलने की आस लिये,नैना मेरे दिन रात जगे
तेरे कुसुमित अलकों की महक,की याद मुझे
तड़पाती है
छूना उन सुर्ख कपोलों को ,सिहरन मन मे उठ जाती है
तेरे अधरों की लाली को,बिन्दिया ,कुमकुम को याद करूँ
कंगन खनके पायल छनके
तेरी छवि से दिल आबाद करूँ
मैं जल्दी मिलने आऊँगा ,तुम जरा निराश नहीं होना
तुम ही तो मेरी शक्ति हो,अस्तित्व ना तुम अपना खोना
मेरे भारत की सीमा पर ,दुश्मन ने हमला बोला है
नफ़रत का जहर फिजाओं मे,दुष्टो ने फ़िर से घोला है
उनसे मै दो दो हाथ करूँ,जरा सबक उसे सिखलाऊँ तो
भारत माँ का मैं वीर लाल ,उसकी औकात बताऊँ तो
दुश्मन का शीश काट मुझको,माँ के चरणो मे चढाना है
हाथों मे लिये तिरंगा,वन्दे मातरम कहते जाना है
भारत की पावन भूमि पर ,जब चारों ओर अमन होगा
उस दिव्य समय मे प्रिय तुम्हारा मेरा मधुर मिलन होगा
यदि मैं शहीद हो जाऊँ तो,दुख तुमको नही मनाना है
मुझे विदा शान से करना ,वन्दे मातरम कहते जाना है
श्यामा अरोरा